women empowerment: महिला सशक्तिकरण की बनी पहचान , 40 साल की उम्र में रिक्शा चलाकर पेट पाल रही है बच्चों का

Woman's Day Special: आज कि बढ़ती महंगाई को देखकर खंडवा की एक महिला मनीषा ने अपने बच्चो का सपने को पूरा करने लिए खुद काम पर लग गई। ताकि वह अपने अपना घर का खर्चा निकाल सके और बच्चों को पढ़ा सके
 

Top Haryana, New Delhi desk: परिवार का पूरी सहायता मिलने से वे आत्मनिर्भर बन रही हैं। खंडवा की मनीषा सुनारे ने यह प्रमाणित कर दिया है कि हौसले और परिश्रम से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। 40 साल की अवस्था में उन्होंने ई-रिक्शा चलाने का निर्णय लिया है।
ताकि बच्चों को अफसर बन सकें। जिससे अपने घर का खर्चा आसानी से निकाल सके।उनका यह निर्णय केवल उनके परिवार ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए भी प्रोत्साहन बन रहा है। मनीषा के इस निर्णय में उनके पति और सास का पूरा सहयोग रहा है।
मनीषा का कहना है कि उनके  बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और बड़े अधिकारी बनें। इसलिए उसने यह कार्य  शुरू करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि वे महिला दिवस के अवसर पर ई-रिक्शा चलाना शुरू करेगी और जो भी आमदनी होगी,  उसके बच्चों की पढ़ाई में लगाएगी ।
ई-रिक्शा चलाने के लिए मिला खास ट्रेनिंग
मनीषा को यह ई-रिक्शा एक महिला स्वयं सहायता समूह के जरिए मिला है। यह समुदाय महिलाओं को स्वावलंबी बनाने और व्यवसाय के अवसर प्रदान के लिए कार्य कर रहा है। इस समुदाय में 50 महिलाएं काम कर रही हैं, जो अपने परिवार की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए कार्य कर रही हैं।
रिक्शा चलाने का यह निर्णय सिर्फ मनीषा की जिंदगी नहीं बदलेगा, जबकि अन्य महिलाओं को भी प्रेषित करेगा । उनका कहना है कि अगर परिवार योगदान और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है । उनके इस कदम से यह संदेशा मिलता है कि महिलाएं हर स्थान में आगे बढ़ सकती हैं और  संप्रदाय की सोच को बदल सकती हैं।
पति का मिला पूरा सहयोग
मनीषा के पति ने पूरा साथ दिया, बल्कि जब तक मनिषा ई-रिक्शा चलाना सीख रही थीं, तब तक घर की उत्तरदायित्व भी संभाल रहे थे। उनके पति उन्हें गांव से लाने-छोड़ने कार्य भी करते हैं और हर कदम पर उनका साथ देते है ।उनका हौसला भी बढ़ाते है ।