Success Story: USA की लड़की 30 दिन के लिए आई भारत, कुछ दिन रहने के बाद बदला मन
Top Haryana, New Delhi: भारत के युवा यूएसए (USA) या अन्य देशों में पढ़ने-लिखने या नौकरी करने जाते हैं, लेकिन वापिस लौटकर नहीं आना चाहते और वही अपना परिवार बसा लेते हैं। लेकिन आज हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें यूएसए के न्यूजर्सी में रहने वाली एक लड़की जिसने वहीं पढ़ाई की और रिसर्च के लिए भारत आई और यहीं की होकर रह गई। आज यह लड़की भारत में उन सभी बच्चों के भविष्य को सुधार रही है जिनके पास पढ़ने-लिखने और रहने के लिए कोई जगह नहीं है। आखिर कौन है ये लड़की, आईए जानते हैं।
Success Story, USA Girl Story: यह कहानी अमेरिका की रहने वाली कोर्टनी ललौत्रा (Courtney Lalotra) की है।कोर्टनी का जन्म अमेरिका के न्यूजर्सी में हुआ था और कोर्टनी के पिता बिजनेसमैन हैं। कोर्टनी की पढ़ाई न्यूजर्सी के अलग-अलग स्कूलों से पूरी हुई है। पढ़ाई के साथ-साथ कोर्टनी ने कई जगह पार्ट-टाइम नौकरी भी की थी। कोर्टनी ने बैचलर की डिग्री न्यूजर्सी के फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से की थी और इस तरह 2010 में उन्होंने टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम शुरू किया।
रिसर्च के लिए आईं भारत
फैशन में बैचलर डिग्री करने के बाद कोर्टनी भारत सिर्फ 30 दिन के लिए अपने प्रोफेसरों के साथ भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को समझने आई थी। कोर्टनी भारत में साड़ियों पर रिसर्च करने आई थी, साथ ही यह देखने की यहां के टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स कैसे बनते हैं, लेकिन भारत में छोटे-छोटे बच्चों को भीख मांगते देखकर उनका मन बदल गया। रिसर्ट के दौरान कोर्टनी बच्चों को खाना खिलाती थी और उनकी पढ़ाई के लिए इंतजाम करती थी।
बच्चों के लिए शेल्टर होम का किया बंदोबस्त
कोर्टनी के जीवन साथी योगेश लटोटा है जो वायु सेना में नौकरी करने के साथ-साथ एक साइकोलॉजिस्ट भी हैं। कोर्टनी और योगेश की मुलाकात एक पार्क में घुमते समय हुई थी। जिस समय योगेश कोर्टनी से मिले उस समय कोर्टनी गुड़गांव में ही रहती थी और मिलने के कुछ समय उन्होंने शादी करने का फैसला किया।
शादी के बाद कोर्टनी ने गुड़गांव के अनाथ के लिए शेल्टर होम और समर्पण ट्रस्ट की स्थापना की। आज के समय में इस ट्रस्ट के द्वारा सैकड़ों अनाथ बच्चों के रहने, खाने और पढ़ाई की व्यवस्था की जाती हैं। कोर्टनी के पेरेंट्स उनके भारत में रहने के फैसले से बिलकुल भी खुश नहीं थे जिस कारण उन्हें बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा, लेकिन कुछ समय बाद कोर्टनी के समझाने पर उनके पैरेंट्स ने इस फैसले को मान लिया। आज के समय में कोर्टनी भारत में ही रहती है और अनाथ बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने पर लगातार मेहनत कर रही हैं, कोर्टनी बताती है कि कोविड काल में उन्होंने बहुत लोगों की मदद की थी।