सूरज ने चांद पर कैसे बनाया पानी? नासा की नई रिसर्च ने खोला राज
Top Haryana, New Delhi: पिछले कई सालों से वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि चांद पर पानी कैसे हो सकता है। चांद एक सूखी और बेजान सी जगह है जहां ना हवा है और ना ही वायुमंडल। ऐसे में वहां पानी का पाया जाना एक रहस्य जैसा ही रहा है।
कुछ वैज्ञानिकों ने कहा कि पानी सूक्ष्म उल्कापिंडों की वजह से आया होगा, तो कुछ ने प्राचीन गड्ढों में दबे पानी के भंडार की बात कही लेकिन अब नासा की एक नई रिसर्च ने इस रहस्य पर से पर्दा हटा दिया है और पुराने सभी विचारों को चुनौती दी है।
नासा ने क्या खोजा?
नासा के गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक ली सिया यिओ और उनकी टीम ने यह रिसर्च की है। उन्होंने बताया कि सूर्य की सौर हवाएं चांद की मिट्टी में पानी बना सकती हैं। इस रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने एक ऐसा माहौल तैयार किया, जो चांद जैसा था।
उसमें हवा नहीं थी और सौर किरणों को वहां से गुजारा गया। इस प्रयोग में 1972 के अपोलो 17 मिशन से लाए गए चांद की मिट्टी के सैंपल का इस्तेमाल किया गया।
कैसे बनता है पानी?
जब सूर्य की सौर हवाएं चांद की सतह से टकराती हैं, तो वे बिना किसी रुकावट के वहां पहुंच जाती हैं। धरती की तरह चांद के पास ना वायुमंडल है और ना ही चुंबकीय क्षेत्र, जो इन कणों को रोक सके।
ये सौर हवाएं हाइड्रोजन के कण लेकर आती हैं, जो चांद की मिट्टी में मौजूद इलेक्ट्रॉनों से टकराकर हाइड्रोजन परमाणु बनाते हैं। ये हाइड्रोजन परमाणु फिर मिट्टी में मौजूद ऑक्सीजन से मिलकर हाइड्रॉक्सिल (OH) और पानी (H₂O) बनाते हैं।
क्या कहा वैज्ञानिकों ने?
रिसर्च टीम के सदस्य जैसन मैक्लेन ने बताया कि यह प्रयोग करना आसान नहीं था। इसके लिए खास तरह का चैंबर बनाया गया था, जिसमें वैक्यूम की स्थिति थी। उन्होंने बताया कि यह देखना हैरानी भरा था कि सिर्फ सूर्य की ऊर्जा और चांद की साधारण मिट्टी से पानी जैसी चीज बन सकती है।
वैज्ञानिक यिओ ने कहा कि यह जानकर हैरानी होती है कि चांद की मिट्टी में जो तत्व हैं, वे सूर्य से आए कणों से मिलकर पानी बना सकते हैं। इससे यह समझा जा सकता है कि चांद पर पानी हमेशा से मौजूद नहीं था, बल्कि यह धीरे-धीरे सूर्य की मदद से बना।
कैसे पता चला पानी है?
शोधकर्ताओं ने स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से चांद की मिट्टी में हुए बदलावों को देखा। उन्होंने पाया कि एक खास समय बाद मिट्टी में 3 माइक्रोन के आसपास इंफ्रारेड लाइट को सोखने की क्षमता घट गई। यह संकेत है कि वहां हाइड्रॉक्सिल और पानी के अणु बने हैं।
नतीजा क्या निकला?
नासा की यह रिसर्च बताती है कि सूर्य की सौर हवाएं चांद पर पानी बना सकती हैं। यह एक नई और चौंकाने वाली खोज है, जो यह साबित करती है कि ब्रह्मांड में जीवन और पानी जैसे जरूरी तत्व कितने अनोखे तरीकों से बन सकते हैं। इससे भविष्य में चांद पर मिशन और रिसर्च के लिए रास्ते खुल सकते हैं।