New Rule: किराए पर मकान देने वालों के लिए बड़ी खबर, नए नियम हुए लागू
Top Haryana, New Delhi: केंद्र सरकार ने किराए पर दी गई संपत्ति से होने वाली कमाई पर टैक्स कटौती (TDS) से जुड़ा बड़ा बदलाव किया है। अब इस पर टैक्स कटौती की सीमा को बढ़ा दिया गया है, जिससे मकान मालिकों और छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी।
अब 2.4 लाख की जगह 6 लाख पर होगी TDS कटौती
पहले नियम यह था कि अगर किसी व्यक्ति को साल भर में किराए के रूप में 2.4 लाख रुपये (यानि महीने के करीब 20 हजार रुपये) से ज्यादा की आय होती थी, तो उस पर टैक्स कटता था। लेकिन अब इस सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है। मतलब, अगर किसी को पूरे साल में 6 लाख रुपये तक का किराया मिल रहा है, तो उस पर कोई TDS नहीं कटेगा।
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नए वित्त वर्ष से लागू हुए नियम
यह नियम वित्त वर्ष 2025-26 के पहले दिन से ही लागू हो चुका है। इस बदलाव की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए की थी। इसका मकसद यह है कि छोटे मकान मालिकों और संपत्ति किराए पर देने वालों को टैक्स के नियमों के बोझ से राहत मिल सके।
किस पर लागू होता है यह नियम?
आयकर अधिनियम की धारा 194-I के तहत, जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति के लिए किराया देता है और वह रकम तय सीमा से ज्यादा होती है, तो उस पर TDS काटना जरूरी होता है। पहले यह सीमा सालाना 2.4 लाख रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दिया गया है।
नया नियम सिर्फ व्यक्तिगत करदाताओं पर ही नहीं, बल्कि कंपनियों, पार्टनरशिप फर्म और अन्य संस्थाओं पर भी लागू होगा। यानी कोई भी व्यक्ति या संस्था अगर किसी को सालाना 6 लाख रुपये से ज्यादा किराया देती है, तो उन्हें TDS काटना होगा।
मशीनरी और ज़मीन के किराए पर भी लागू होगा नियम
यह नियम सिर्फ मकानों पर ही नहीं, बल्कि जमीन, भवन, प्लांट और मशीनरी के किराए पर भी लागू होगा। अगर आप कोई मशीन या जमीन कुछ महीनों के लिए किराए पर देते हैं और उसका किराया महीने में 50 हजार रुपये या उससे ज्यादा है, तो TDS कटेगा।
छोटे करदाताओं को मिलेगा फायदा
इस नए नियम से उन लोगों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी जो किराए के रूप में कम आय अर्जित करते हैं। अब उन्हें TDS के झंझट से छुटकारा मिलेगा और उन्हें टैक्स भरने की प्रक्रिया में आसानी होगी। किराए पर संपत्ति देने वाले छोटे मकान मालिकों को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें साल के अंत में टैक्स रिटर्न भरने में कम दिक्कत होगी और टैक्स कटौती के बाद रिफंड मांगने की जरूरत कम पड़ेगी।
सरकार का यह फैसला छोटे निवेशकों, किराए पर संपत्ति देने वालों और सामान्य करदाताओं के लिए राहत की खबर है। टैक्स कटौती की सीमा बढ़ाने से न केवल उनका बोझ कम होगा, बल्कि टैक्स प्रणाली को समझना और उसका पालन करना भी आसान हो जाएगा।
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