हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीदने वालों को राहत, रजिस्ट्री नहीं होगी महंगी

Haryana News: हरियाणा सरकार के इस फैसले से आम आदमी को राहत मिलेगी। अब प्रॉपर्टी खरीदने वाले लोगों को ज्यादा पैसे नहीं देने पड़ेंगे और रजिस्ट्रेशन पहले जैसे रेट पर ही होगा। 
 

Top Haryana: हरियाणा सरकार ने आम जनता को बड़ी राहत दी है। अब प्रॉपर्टी खरीदना महंगा नहीं होगा क्योंकि सरकार ने कलेक्टर रेट (Collector Rate) यानी सरकारी दरों में बदलाव को फिलहाल टाल दिया है।

राजस्व विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कलेक्टर रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसका मतलब है कि इस साल भी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री पहले जैसी दरों पर ही होगी।

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हर साल अप्रैल में नए कलेक्टर रेट लागू किए जाते हैं लेकिन इस बार सरकार ने तय किया है कि फिलहाल पुराने रेट ही लागू रहेंगे।

क्या होता है कलेक्टर रेट?

कलेक्टर रेट वह न्यूनतम दर होती है जिस पर सरकार प्रॉपर्टी की कीमत तय करती है। इसी दर के आधार पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती है। अगर कलेक्टर रेट बढ़ता है तो प्रॉपर्टी खरीदना महंगा हो जाता है।

रजिस्ट्रेशन फीस कितनी है?

  • 25 से 40 लाख रुपये की प्रॉपर्टी पर 20 हजार रुपये है।
  • 40 से 50 लाख रुपये की प्रॉपर्टी पर 25 हजार रुपये है।
  • 50 से 60 लाख रुपये की प्रॉपर्टी पर 30 हजार रुपये है।
  • 60 से 70 लाख रुपये की प्रॉपर्टी पर 35 हजार रुपये है।

दिसंबर में हुआ था पिछला बदलाव

सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने कलेक्टर रेट में पिछली बार दिसंबर 2024 में बदलाव किया था। इस वजह से सरकार ने अब फिर से बदलाव करने का फैसला टाल दिया है।

दरअसल, हर साल मार्च तक जिलों से नए रेट्स के प्रस्ताव मांगे जाते हैं। इस बार भी कुछ जिलों ने 10 से 25 फीसदी तक रेट बढ़ाने की सिफारिश कर दी थी और अपने स्तर पर प्रस्ताव तैयार कर लिए थे। कुछ जिलों ने तो इन प्रस्तावों को सार्वजनिक कर आपत्तियां भी मांगनी शुरू कर दी थीं, जबकि सरकार ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था।

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने जनता के हित में यह फैसला लिया है ताकि प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री पर असर न पड़े और स्टांप शुल्क से होने वाली सरकारी आमदनी भी प्रभावित न हो।

क्यों लिया गया ये फैसला?

  • दिसंबर में ही रेट में बदलाव हो चुका था।
  • बार-बार बदलाव से आम लोगों पर बोझ बढ़ता।
  • सरकार को स्टांप शुल्क से होने वाली आमदनी घट सकती थी।
  • जनता के हित को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया।

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