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मात्र 8 दिन में तैयार होता है यह हरा चारा, पशुओं को मिलेगी ताकत और किसानों को आमदनी

गर्मियों के मौसम में हरे चारे की कमी हो जाती है लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, आज हम आपको बताने जा रहें ऐसे चारे के बारें में जो मात्र 8 दिन में बनकर तैयार हो जाता है, आइए जानें...
 
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Top Haryana: गर्मी का मौसम आते ही किसानों और पशुपालकों को हरे चारे की भारी कमी का सामना करना पड़ता है। इस वजह से दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है और पशुपालकों को नुकसान झेलना पड़ता है। अब इस समस्या का आसान और फायदेमंद हल है  ‘चरी’ की खेती।

क्या है चरी फसल?

चरी ज्वार की एक किस्म है जिसे गर्मियों में हरे चारे के लिए उगाया जाता है। यह खासतौर पर झारखंड जैसे राज्यों में पारंपरिक रूप से उगाई जाती है। झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित गोरिया करमा के आईसीएआर केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर. के. सिंह बताते हैं कि चरी को स्थानीय भाषा में ‘खसकारा’ भी कहा जाता है।

तेजी से बढ़ने वाली फसल

चरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत तेजी से बढ़ती है। इसकी कटाई करने के 7 से 8 दिन बाद फिर से हरा चारा तैयार हो जाता है। यानी एक बार बोने के बाद किसान बार-बार इसकी कटाई कर सकते हैं। पौधों को जमीन से लगभग डेढ़ फीट ऊपर से काटना चाहिए ताकि वे दोबारा जल्दी उग सकें।

एक ही फसल से पांच बार चारा

डॉ. सिंह बताते हैं कि एक ही फसल से किसान करीब पांच बार तक हरा चारा ले सकते हैं और बाद में इसे अनाज के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। जब इसमें बालियां आने लगती हैं, तो फसल को पकने दिया जाता है और फिर किसान इसे बेचकर भी अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।

चरी की उपयुक्त किस्म, एमपी चरी

हरे चारे और अनाज दोनों के लिए ‘एमपी चरी’ किस्म को सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसकी बुवाई अप्रैल से मई के बीच की जाती है और यह 65 से 85 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। यह किस्म तेजी से बढ़ती है और बार-बार कटाई की जा सकती है।

खेती की विधि और लाभ

  • प्रति एकड़ 18 से 25 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
  • कटाई के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए ताकि पौधे फिर से जल्दी बढ़ सकें।
  • कई किसान प्रति एकड़ 30 से 40 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर चुके हैं।
  • बाजार में ज्वार का दाम गेहूं से ज्यादा मिल रहा है, जिससे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।

पशुओं को ताकत और दूध में बढ़ोतरी

हरे चारे से पशुओं को भरपूर पोषण मिलता है, जिससे उनकी ताकत बढ़ती है और दूध उत्पादन में भी सुधार होता है। किसान बाल्टी भर-भर दूध प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी और जीवन स्तर में सुधार होता है।

गर्मी के मौसम में चरी की खेती पशुपालकों और किसानों दोनों के लिए वरदान है। इससे एक तरफ पशुओं को भरपूर हरा चारा मिलता है, तो दूसरी ओर किसान अनाज बेचकर अच्छी कमाई भी कर सकते हैं। इस तरह चरी फसल दोहरा लाभ देती है चारा भी और आमदनी भी।

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