Surti Nasal Buffalo: किसानों के लिए है एक सुनहरा मौका, इस भैंस को पालने से बन सकते है लखपति

Top Haryana: भारत में डेयरी उत्पादन में गाय और भैंस की बहुत अहमियत है। भैंसों को ज्यादा पाला जाता है क्योंकि ये दूध ज्यादा देती हैं और उनका दूध भी पौष्टिक होता है। आज हम आपको भारत की एक खास भैंस नस्ल, सुरती भैंस, के बारे में बताएंगे, जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
सुरती भैंस की पहचान और मूल स्थान
सुरती नस्ल की भैंस भारत के गुजरात राज्य, खासकर खेड़ा और बड़ौदा जिलों की मूल निवासी है। यह नस्ल कुछ अन्य नामों से भी जानी जाती है, जैसे- चरोटारी, दक्कनी, गुजराती, नडियाडी और तालाबारा, जो इसके रहने के स्थानों से संबंधित हैं। इस नस्ल की भैंसों की बाजार में कीमत 40 हजार से 50 हजार रुपये तक होती है।
सुरती भैंस की खासियत
सुरती भैंस का शरीर बैरल के आकार जैसा होता है। इनकी ऊंचाई औसतन 130 से 135 सेंटीमीटर तक होती है और लंबाई 150 से 155 सेंटीमीटर तक होती है। इनके पूंछ की लंबाई 85 से 90 सेंटीमीटर होती है। नर भैंस का वजन लगभग 400 से 450 किलोग्राम होता है, जबकि मादा भैंस का वजन 390 से 430 किलोग्राम तक होता है।
सुरती भैंसों की सबसे बड़ी विशेषता उनका दूध देने की क्षमता है। ये भैंसें प्रति दिन लगभग 10 से 15 लीटर दूध देती हैं। औसतन, ये भैंसें एक साल में 1900 से 2000 लीटर दूध देती हैं। यह दूध बहुत पोषक होता है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल सकता है।
सुरती भैंस की गायन-धारण क्षमता
सुरती भैंस का पहला चरण 35 से 45 महीने का होता है। इसका मतलब है कि यह भैंस गर्भवती होने के बाद कम समय में बच्चे को जन्म देती है और जल्दी ही दूध देने लगती है। इसकी यह क्षमता किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि इसे जल्दी दूध देने के लिए जाना जाता है।
किसानों के लिए फायदे
सुरती भैंसों को पाले जाने से किसानों को कई फायदे हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह भैंस अच्छी मात्रा में दूध देती है, जिससे किसानों को अच्छा आर्थिक फायदा हो सकता है। यह नस्ल कम देखभाल में भी अच्छे परिणाम देती है। अगर किसानों के पास इस नस्ल की भैंसें हैं, तो वे डेयरी व्यवसाय में सफलता पा सकते हैं।
सुरती नस्ल की भैंस किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है, क्योंकि यह अच्छी मात्रा में दूध देती है और कम देखभाल में भी अच्छे परिणाम देती है। इसकी बाजार कीमत और दूध देने की क्षमता इसे एक लाभकारी विकल्प बनाती है, जो किसानों को मालामाल कर सकती है।