Lemon Farming Tips : नींबू के बाग में मार्च में करें यह जरूरी काम, फलों से लद जाएंगे सारे पेड़
Lemon Cultivation: नींबू के फलों का अधिक उत्पादन लेने के लिए किसानों को इस महीने कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, आइए जानें विस्तार से इसके बारें में...

Top haryana: नीबू के बाग में लगने वाले रोगों से उपज में गिरावट आ जाती है। इसका कारण कोललेटोट्रिकम फफूंद का रोग है जो कि नींबू की पत्तियों और फलों पर काले धब्बे बनाता है। इसकी रोकथाम करने के लिए किसान अपने बाग में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) या फिर कार्बेन्डाजिम (0.1%) का छिड़काव कर सकते हैं।
दूसरा सबसे अधिक जो कि नींबू के बाग को नुकसान पहुंचाता है वह है साइट्रस कैन्कर (बैक्टीरियल रोग) जिससे पत्तियों और फलों पर भी गहरा घाव बन जाता है। इसके कारण इसके फल खराब हो जाते हैं। किसान इसकी रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (500 ppm) के साथ में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) का छिड़काव कर सकते है।
मार्च का पूरा महीना नींबू के वर्ग में आने वाली सभी फसलों के लिए बेहद ही अहम होता है। इस समय तापमान में वृद्धि की शुरूआत हो जाती है, जिससे पौधें में नई कोपलें, फूल और फल विकसित होते हैं। अगर इस समय सही से इसकी देखभाल न की जाए, तो इसके फूल और फल झड़ सकते हैं, जिससे नींबू का उत्पादन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, इसी महीने में पौधों की उचित देखभाल, खाद और उर्वरक का सही से प्रबंधन, सिंचाई और कीट-रोगों का नियंत्रण बेहद ही जरूरी होता है। इस समय इन खास कार्यों पर ध्यान देने से नींबू का उत्पादन अधिक बढ़ेगा और इसके फलों की गुणवत्ता भी बनी रहेगी। किसान नींबू का अधिक मात्रा में उत्पादन लेने के लिए समय पर अपने बाग में इन सभी प्रकार की दवाईयों का सही से छिड़काव करें।
अधिक उत्पादन के लिए दें यह खाद
मार्च में नींबू के पौधों को नाइट्रोजन (200-250 ग्राम, फास्फोरस 100-150 ग्राम और इसके साथ ही पोटाश (150-200 ग्राम) देना काफी फायदेमंद होता है। इसके अलावा, किसान कैल्शियम नाइट्रेट या फिर पोटैशियम नाइट्रेट का भी छिड़काव कर सकतें हैं। इससे फूलों और फलों की गुणवत्ता में भी काफी सुधार होता है।
फल झड़ने से रोकने के उपाय
फूल और फल को झड़ने से रोकने के लिए बोरॉन (0.3%) और जिबरेलिक एसिड का छिड़काव करें। इसके बाद जब फूल आने की अवस्था शुरू होती है तब इसमें जिंक सल्फेट (0.2%) का स्प्रे करें, जिससे बाग में फूलों की संख्या बढ़ेगी और फल के झड़ने की समस्या भी कम होती है।
इसके साथ ही किसान फल बनने के बाद नियमित सिंचाई करें, जिससे पौधों को सूखा न लगे। किसान सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति को अपनाएं जिससे पानी की बचत होगी और नमी भी जड़ों तक पहुंचती रहेगी।