Land Registration: जानें जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है, पूरी जानकारी आसान शब्दों में

TOP HARYANA: जमीन की रजिस्ट्री कराना बहुत जरूरी है, जब भी कोई व्यक्ति जमीन खरीदता है, तो उसे अपने नाम कराने के लिए रजिस्ट्री (Registry) करानी जरूरी होती है। जमीन खरीदना एक महंगा सौदा होता है, क्योंकि इसमें लोग अपनी जीवनभर की बचत लगा देते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आप रजिस्ट्री की प्रक्रिया को अच्छे से समझें, ताकि बाद में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
क्या होती है रजिस्ट्री
जब जमीन या प्रॉपर्टी के मालिक का नाम किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर दर्ज किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को रजिस्ट्री (Registry) कहते हैं। आसान शब्दों में कहें, तो जब विक्रेता (Seller) अपनी प्रॉपर्टी को क्रेता (Buyer) को बेचता है और उसका मालिकाना हक बदलता है, तभी रजिस्ट्री कराई जाती है।
रजिस्ट्री कराने की प्रक्रिया
मार्केट वैल्यू तय करना: सबसे पहले जमीन की बाजार कीमत (Market Value) तय की जाती है। यह मूल्य क्रेता और विक्रेता आपसी सहमति से तय करते हैं।
स्टांप पेपर खरीदना: जब कीमत तय हो जाती है, तो स्टांप पेपर खरीदा जाता है, जिस पर बैनामा टाइप किया जाता है।
क्रेता-विक्रेता की जानकारी दर्ज करना: बैनामा में दोनों पक्षों (Buyer & Seller) की पूरी जानकारी दर्ज की जाती है।
रजिस्ट्रेशन कराना: इसके बाद संबंधित रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर जमीन की रजिस्ट्री कराई जाती है।
गवाहों की जरूरत: रजिस्ट्री करवाने के लिए दो गवाहों की भी जरूरत पड़ती है।
दस्तावेज जमा करना: इस दौरान जमीन से जुड़े सभी दस्तावेजों और पहचान पत्रों को जमा किया जाता है।
रजिस्ट्रेशन नंबर और पर्ची मिलना: जब रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो रजिस्ट्रेशन नंबर और एक पर्ची मिलती है। यह पर्ची इस बात का प्रमाण होती है कि रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है।
रजिस्ट्री की पर्ची क्यों जरूरी है
जब आपकी जमीन की रजिस्ट्री हो जाती है, तो रजिस्ट्रार ऑफिस से आपको एक पर्ची दी जाती है। यह पर्ची बहुत जरूरी दस्तावेज होती है, जिसे संभालकर रखना चाहिए। यह इस बात का सबूत है कि आपकी जमीन का कानूनी मालिक आप ही हैं।