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Agriculture News: नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए यहां पर खुलेगी नई यूनिट...

Natural farming: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने एक नेचुरल फार्मिंग यूनिट को मंजूरी प्रदान की है। आइए जानें इसके बारें में

 
AgricultureNews: नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए यहां पर खुलेगी नई यूनिट...
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TOP HARYANA: हरियाणा सरकार ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल में गौ आधारित प्राकृतिक खेती मॉडल की नई यूनिट स्थापित करने के लिए 1 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है।

अब यहां पर गोमूत्र व गोबर से बनने वाली दवाइयों पर भी रिसर्च का काम किया जाएगा। अब तक रेवाड़ी जिलें में 150 से ज्यादा किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। इस नई यूनिट के लगने से अब जिला ही नहीं, बल्कि दक्षिण हरियाणा के किसानों को भी इसका बड़ा फायदा होगा। अब इन सभी जिलों में प्राकृतिक खेती के दायरे को बढ़ाया जा सकता है।

तैयार किए जाएंगे टीके

इस केंद्र में बायो फर्टिलाइजर लैब भी संचालित की जा रही है। इस लैब में एजेटोबेक्टर, राइजोबियम, पीएसबी और निमेटोड जोकि गेहूं में लगने वाले कीड़े का टीके भी तैयार किया जा रहे है। यहां पर प्रत्येक टीके की कीमत 20 रुपए रखी गई है। 

रबी के सीजन में इन टीकों की बिक्री ज्यादा और खरीफ के सीजन में कम होती है। इन टीकों की खास बात यह है कि इनसे फसलों के उत्पादन में काफी वृद्धि होती है।

जानकार किसानों का लेंगे सहयोग

प्राकृतिक खेती मॉडल यूनिट में जैविक खेती के मॉडल के लिए उन किसानों का भी पूरा सहयोग लिया जाएगा, जो अब तक प्राकृतिक खेती करते आ रहे हैं, जिनका इस फील्ड में अच्छाअनुभव है। उनके पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक विधि से इस यूनिट में मॉडल विकसित किए जाएंगे। सरकार का प्रमुख उद्देश्य यही है

कि जिला ही नहीं बल्कि दक्षिण हरियाणा में प्राकृतिक खेती को अधिक बढ़ावा मिल सके। इसके लिए सरकार काफी तेज गति से काम कर रही है। इसी दिशा में अब सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है।

गौ-आधारित होगी खेती

यह एक ऐसी खेती की तकनीक है, जिसमें गायों व किसानों को कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का केंद्र बिन्दू माना जाता है। इसमें देशी गायों के गोबर और उनके मूत्र का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें रासायनिक खादों का किसी भी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

खेती में गाय के गोबर व गोमूत्र का इस्तेमाल करके कम लागत में ज्यादा उत्पादन किया जाता है। इस खेती में रोगनाशक और कीटनाशक रसायनों की जगह पर भी देशी गाय के गोबर, गाय के मूत्र व नीम जैसी चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है।

डेमो के लिए किसानों को देंगे प्रशिक्षण

केंद्र के निदेशक डॉ. धर्मबीर यादव ने इसके बारें में बताया कि नेचुरल फार्मिंग यूनिट के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए अब डेमो यूनिट लगेगी, जिसमें किसानों को इसके बारें में प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों को प्राकृतिक खेती करने की विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी, ताकि किसानों का रुझान इस खेती की तरफ बढ़ सके।