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Agriculture News: धान की नई किस्म...कम यूरिया में भी बेहतर उपज, स्वाद भी मीठा

Agriculture News: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 8 वर्षों के शोध के बाद विकसित की किस्म, रोगों से लड़ने में है सक्षम

 
Agriculture News: धान की नई किस्म...कम यूरिया में भी बेहतर उपज, स्वाद भी मीठा
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Top Haryana, New Delhi: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के ने आठ वर्षों के शोध के बाद धान की एक उन्नत किस्म पीआर 132 विकसित ही हैं, जो बेहतर विकल्प साबित हो रही हैं। इस किस्म को उपजाने में यूरिया की एक चौथाई कम जरूरत पड़ती हैं, जो नाइट्रोजन का प्रमुख स्त्रोत हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता तो ज्यादा है ही, इस धान से बने चावल की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी है।

पीयू के निदेशक डा. अजमेर सिंह ढट के अनुसार, धान की इस किस्म को अन्य किस्मों के मुकाबले कम नाइट्रोजन की जरूरत होती है। इसकी पनीरी लगने का समय 20 से लेकर 25 मई तक का हैं। 30 से लेकर 35 दिनों  में इसकी पनीरी पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं। फिर इसकी रोपाई का काम शुरू हो जाता हैं।

इसकी रोपाई करने के बाद यह फसल 111 दिनों में सही से पककर तैयार हो जाती हैं। इसका उत्पादन भी काफी अच्छा हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 113 सेंटीमीटर हैं। इस किस्म के धान से उत्पन्न चावल चमकदार, लंबे और पतले होते हैं। यह मिलिंग के लिए भी काफी बढ़िया हैं। इसके साबूत चावलों की क्वालिटी भी काफी बेहतर हैं।

इस किस्म के चावलों से राइस मिलों को भी काफी लाभ मिलता हैं। आमतौर पर धान की फसल को 10 तरह के झुलस रोग प्रभावित करते है, लेकिन यह एक नई किस्म हैं जो अच्छे से उनका मुकाबला करने में सक्षम हैं। इस नवाचार से किसानों को लागत कम करने और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं इस किस्म के चावल का स्वाद भी काफी बेहतर हैं।

जो इसे और भी आकर्षक बनाता हैं। फिलहाल इसका बीज पीयू ले लिया जा सकता हैं। इसके साथ इसके 18 कृषि विज्ञान केंन्द्रों पर भी यह बीज उपलब्ध हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब में वर्ष 2023-2024 में 32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती ही गई थी। कुल उपज 214.26 लाख टन थी।

इसमें से 20 प्रतिशत एरिया में भी पीआर 132 किस्म लगा दी जाए, तो यूरिया की बड़े स्तर पर बचत की जा सकती हैं। इस धान के चावल का स्वाद काफी अच्छा हैं। मिलिंग इंडस्ट्री ने भी इसे बहुत अधिक पसंद किया हैं, क्योंकि इसमें साबूत चावल की रिकवरी भी बहुत अच्छी हैं। जब भी धान की नई किस्म लाई जाती है तो शेलर्स को बुलाकर मिटिंग ट्रायल भी किया जाता हैं।